Thursday, 24 December 2020

Poetry

 गुजरे वक्त की खाशियत हैं निराली

लौटता नहीं, मगर यादें होती हैं प्यारी


यूं तो भरोसा होता नहीं

पर शायद यही है तकदीर हमारी


परेशानी हैं गहरी

इतनी सी है हैं जिंदगानी हमारी


रूठो को हमे ही हैं मनाना

बस इतनी सी है परेशानी हमारी


भीड़ में भी अकेला करदे

ऐसी हैं तन्हाइयो से यारी हमारी


जुदा किसी से होना नहीं

इतनी सी है ख्वाहिश हमारी



2 comments:

change

 somethings have to change, but baby thst's not me.... cause u always says stuff that i don't believe so is it all on me.... i thoug...