जन्म लिया इस मिट्टी में ,
ये मिट्टी नहीं,ये शान हमारी हैं
मातृभूमि इसको कहते ,
ये पहचान हमारी हैं
इस मिट्टी की बात भी हैं, कुछ निराली
यहां बहती गंगा, यमुना हमारी है
आंख उठती जब इसपर कोई
तो सबब ये उसको सिखाती हैं
ये मिट्टी नहीं, ये शान हमारी हैं
इस मिट्टी के रूप भी हैं, अनेक
कई रेत तो कई है हरियाली
इसे सींचा हैं जिन्होंने ,
वो बेटे इसके महान हैं
जान देकर भी जिन्होंने कि रखवाली इसकी हैं
जन्म मिला जब मुझको यहां
तब खुशी से गायी यहीं कव्वाली हैं
ये देश नहीं ये शान हमारी हैं
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